कथा प्रेमियों के बीच लोकार्पित हुआ गंगाधर बिस्वाल का ‘षोडश’ गल्प संग्रह

Apr 21, 2025 - 22:35
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कथा प्रेमियों के बीच लोकार्पित हुआ गंगाधर बिस्वाल का ‘षोडश’ गल्प संग्रह

* गंगाधर की कहानियाँ सामाजिक जीवन का यथार्थ चित्रण करती हैं और अप्रत्याशित अंत से पाठकों को चौंकाती हैं, अतिथियों ने कहा।

बालेश्वर, 21/4 (कृष्ण कुमार महान्ति) — शुक्रवार संध्या बालेश्वर के एपीसीएल सम्मेलन कक्ष में प्रतिष्ठित गल्पकार गंगाधर बिस्वाल के बहुप्रतीक्षित कहानी संग्रह ‘षोडश’ का भव्य लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कवि प्रशांत दास ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में कवि कृष्ण कुमार महान्ति ने शिरकत की। अपने संबोधन में महान्ति ने कहा कि गंगाधर की कहानियों में जीवनानुभव की गहरी छाप होती है और कई बार लेखक स्वयं ही कहानी बन जाते हैं — लेखक और पात्र एक हो जाते हैं।

इस अवसर पर कवि उत्पल महान्ति, ‘सेइठू आरंभ’ पत्रिका के संपादक शुभेन्दु दास, फकीर मोहन साहित्य परिषद के अध्यक्ष डॉ. सुभाष चंद्र पात्र, और एचडीएफसी बैंक के उप-सभापति समरेन्द्र बिहारी ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कर कहानी संग्रह का अनावरण किया।

सभी वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि गंगाधर बिस्वाल के अनुभव उनकी रचनाओं में जान फूंक देते हैं, जिससे पाठक उनसे तुरंत जुड़ जाते हैं। प्रत्येक रचनाकार चाहता है कि उसकी दृष्टि और विचार पाठकों के दिल और दिमाग तक पहुँचें — और गंगाधर इसे सहजता और संवेदनशीलता के साथ करते हैं। ‘षोडश’ (अर्थात सोलह) शीर्षक स्वयं ही चर्चा को आमंत्रित करता है।

लेखक ने अपने कहानियों के विषयवस्तु और शिल्प पर प्रकाश डाला, जबकि कवि सितांशु लेंका ने प्रकाशक की दृष्टि से अपनी बात रखी। प्रतिष्ठित समालोचक डॉ. शिरीष चंद्र जेना और फकीर मोहन स्वायत्त महाविद्यालय के ओड़िया विभागाध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार नायक ने भी गंगाधर के लेखन की सराहना की।

कार्यक्रम का शुभारंभ गीतिका योगस्मिता बिस्वाल द्वारा स्वागत भाषण और अतिथि परिचय के साथ हुआ, जबकि धन्यवाद ज्ञापन गीतिका ज्योतिपर्णा बिस्वाल ने किया।

यह उल्लेखनीय है कि ‘षोडश’ से पूर्व पक्षीघर प्रकाशन से प्रकाशित गंगाधर बिस्वाल की 15 गल्प संग्रह पहले ही पाठकों के बीच लोकप्रिय हो चुके हैं।

इस लोकार्पण समारोह में कवि अभय दास, उपन्यासकार सृटिधर परिडा, लेखक डॉ. लक्ष्मीकांत त्रिपाठी, गल्पकार निबारन जेना, संजय पंडा, राजेश गिरी, मधुसूदन मिश्र, तथा प्रियंबदा महान्ति सहित कई साहित्यप्रेमी उपस्थित थे।