‘भाषापक्ष’ का समापन समारोह सम्पन्न – ओड़िया भाषा विकास आंदोलन की ओर से आयोजन

•“सुनो सुनो आए सरकार, हमें चाहिए अपनी भाषा और साहित्य” विषय पर प्रतीकात्मक काव्यपाठ का आयोजन

May 11, 2025 - 19:29
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‘भाषापक्ष’ का समापन समारोह सम्पन्न – ओड़िया भाषा विकास आंदोलन की ओर से आयोजन

बालेश्वर, 11/5 – (कृष्ण कुमार महांति)
ओड़िया भाषा विकास आंदोलन द्वारा आयोजित ‘भाषापक्ष’ का समापन समारोह ‘स्रष्टा’ नाट्यालय के सभाकक्ष में निरेञ्जन राउत एवं निवारण जेना की संयुक्त अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। यह आयोजन ओड़िया भाषा और साहित्य के प्रति सरकारी उपेक्षा के विरुद्ध एक सांस्कृतिक प्रतिवाद बनकर उभरा। पिछले आठ वर्षों से साहित्यिक पुरस्कारों की घोषणा न होना, अतीबड़ी जगन्नाथ दास पुरस्कार और सरस्वत सम्मान में अनियमितता, ओड़िया साहित्य अकादमी की सामान्य परिषद का पुनर्गठन न होना और अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के पदों का लंबे समय से रिक्त रहना जैसे मुद्दों के विरोध में प्रतीकात्मक अनशन, काव्यपाठ, भाषण और नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से अपनी आवाज़ बुलंद की गई।

“सुनो सुनो आए सरकार, हमें चाहिए अपनी भाषा और साहित्य” शीर्षक से आयोजित सामूहिक काव्यपाठ उत्सव का संयोजन जुमरनाथ पात्र और शांतिलता पांडा ने किया, जिसमें चालीस से अधिक कवियों और कवयित्रियों ने भाग लेकर अपनी रचनाओं से हृदय की उद्विग्नता प्रकट की।

इस काव्यपाठ कार्यक्रम का संचालन डॉ. हरिश्चंद्र बेहरा ने किया, जबकि प्रसिद्ध नाटककार हेमेन्द्र महापात्र और ‘चंद्रभागा’ पत्रिका के निदेशक कवि श्रीदेव ने वक्ता के रूप में भाग लिया। शरत कुमार महापात्र, राजेन्द्रनाथ राउत, डॉ. भागवत प्रसाद दास, अरुणा राय, डॉ. हेममाला दास और प्रदीप चट्टोपाध्याय जैसे वरिष्ठ साहित्यसेवियों ने अपने वक्तव्यों के माध्यम से सभी मांगों को पूरा करने हेतु सरकार से अपील की।

इसी विषय को आधार बनाकर डॉ. लक्ष्मीकांत त्रिपाठी द्वारा रचित और निरेञ्जन राउत द्वारा निर्देशित लघु नाटक “सुनो सुनो आए सरकार” का मंचन किया गया। इस नाटक में जुमरनाथ पात्र, शांतिलता बिशी, संजय कुमार पांडा, प्रभाकर साहू, प्रफुल्ल कुमार दास, कृष्णा प्रधान, डॉ. सारंगधर त्रिपाठी और कल्याणी नंद ने अभिनय किया।

समापन समारोह की सांगीतिक प्रस्तुति कल्याणी नंद के संगीत निर्देशन में तृप्तिरानी पात्र, सुब्रता महांति, स्निग्धा सामंतराय, पुष्पलता चक्रवर्ती, कृष्णा प्रधान, अवंती प्रधान, डॉ. तानश्री पाणिग्राही, जुमरनाथ पात्र और प्रभाकर साहू द्वारा दी गई।

कार्यक्रम का आरंभिक भाषण आंदोलन के सामान्य संपादक डॉ. लक्ष्मीकांत त्रिपाठी ने दिया, जबकि कार्यक्रम का संचालन कवि दीपक बोस ने किया।

अन्य प्रतिभागियों में डॉ. क्षितीश्वर दास, कमलाकांत दास, प्रभात कुमार आचार्य, हाड़िबंधु पात्र, कविता जेना, मनमथ कुमार साहू, मधुसूदन माझी, दामोदर नायक, डॉ. रत्नाकर सिंह, दीपक दास, करुणाकर स., ममता दास, पद्मलोचन प्रधान, हेमन्त कुमार जेना, पद्मलोचन दत्त, असितज्योति पात्र और देवाशीष सिंह शामिल थे, जिन्होंने अपनी स्वरचित कविताओं का पाठ कर आयोजन को ऊर्जावान बनाया।