कथाकार कन्हेईलाल दास की 78वीं जयंती पर राज्यस्तरीय श्रद्धांजलि समारोह: सरोज बल को ‘कन्हेई कथा सम्मान’ से सम्मानित

* मात्र 28 वर्ष की आयु में 1975 में हुआ निधन

Jun 26, 2025 - 23:50
Jun 26, 2025 - 23:54
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कथाकार कन्हेईलाल दास की 78वीं जयंती पर राज्यस्तरीय श्रद्धांजलि समारोह: सरोज बल को ‘कन्हेई कथा सम्मान’ से सम्मानित

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बालेश्वर, 26 जून (कृष्ण कुमार मोहन्ती) – अल्पायु में ही इस दुनिया को अलविदा कहने के बावजूद, ओड़िया साहित्य में कथाकार कन्हेईलाल दास ने जो प्रभाव छोड़ा, वह आज भी जीवित है। उनकी 78वीं जयंती के उपलक्ष्य में ओडिशा साहित्य अकादमी और कन्हेईलाल दास स्मृति संसद के संयुक्त तत्वावधान में 25 जून की संध्या को गीतगोविंद भवन, भुवनेश्वर में एक गरिमामय राज्यस्तरीय श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया गया।

अपने स्वागत भाषण में ओडिशा साहित्य अकादमी के सचिव चंद्रशेखर होटा ने कहा कि कन्हेईलाल स्वयं को “स्वप्न सम्राट” कहा करते थे। वे असाधारण प्रतिभा के धनी थे, जिनके भीतर रचनात्मकता का अथाह भंडार था। मात्र 28 वर्ष की उम्र में उनके निधन से ओड़िया साहित्य ने एक अनमोल रत्न खो दिया, पर उनकी विरासत आज भी नई पीढ़ी को प्रेरित करती है।

समारोह के मुख्य अतिथि, वरिष्ठ साहित्यकार शांतनु कुमार आचार्य ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि वे 1933 में जन्मे थे, जबकि कन्हेईलाल 1947 में। यह पीढ़ीगत अंतर उनके दृष्टिकोण में भी परिलक्षित होता था। स्वतंत्रता के बाद जन्मे कन्हेईलाल की कहानियों में समाज के प्रति एक नया दृष्टिकोण था, जो उन्हें अपने समय का अग्रदूत बनाता है।

मुख्य वक्ता अजय स्वैन ने अपने संबोधन में कन्हेईलाल के साहित्यिक जीवन के अनेक अंतरंग पहलुओं को साझा किया। उन्होंने कहा कि जीवन के अंतिम दिनों में कन्हेईलाल ने अपार मानसिक पीड़ा और आर्थिक कठिनाइयों का सामना किया, फिर भी उन्होंने ओड़िया लघुकथा को एक नया मोड़ दिया। वे बहुत से अधूरे स्वप्न लेकर इस संसार से विदा हुए।

बरगढ़ के विधायक और प्रसिद्ध कहानीकार गौतमबुद्ध दास ने बताया कि वे बचपन से ही कन्हेईलाल की कहानियों से प्रेरित थे। उन्होंने दुख के साथ कहा कि कन्हेईलाल के जीवनकाल में उनकी एक भी पुस्तक प्रकाशित नहीं हो सकी—उनकी सारी रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं तक ही सीमित रहीं।

कवयित्री अपर्णा मोहंती ने कहा कि एक बार कन्हेईलाल ने उनसे कहा था कि साहित्य ही उनके जीवन की तमाम पीड़ाओं से मुक्ति का एकमात्र साधन था।

इस अवसर पर युवा कथाकार सरोज बल को ‘कन्हेई कथा पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार कन्हेई स्मृति संसद द्वारा प्रदान किया गया। समारोह की अध्यक्षता स्मृति संसद के अध्यक्ष सुभाष चंद्र पात्र ने की। उत्कल मोहंती ने कार्यक्रम का संपादकीय उद्बोधन प्रस्तुत किया।

समारोह का आरंभ ओडिशा साहित्य अकादमी के संयुक्त सचिव संजय कुमार चुआलसिंह द्वारा मंचासीन अतिथियों का परिचय और स्वागत से हुआ। कार्यकारी अध्यक्ष कृष्ण कुमार मोहन्ती ने सरोज बल के नाम प्रशस्तिपत्र का वाचन किया। इस दौरान सरोज बल ने कहा कि उन्हें कन्हेईलाल दास की कहानियों से गहरी प्रेरणा मिली है।

कार्यक्रम का संचालन और समापन संजय कुमार चुआलसिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया गया। समारोह में भुवनेश्वर शहर से अनेक प्रतिष्ठित साहित्यकार, पत्रकार, बुद्धिजीवी और कन्हेईलाल के प्रशंसक उपस्थित रहे।