फकीर मोहन विश्वविद्यालय को ANRF (अनुसंधान राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान) की प्रतिष्ठित मान्यता

Apr 23, 2025 - 16:16
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फकीर मोहन विश्वविद्यालय को ANRF (अनुसंधान राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान) की प्रतिष्ठित मान्यता

बालेश्वर, 23/4(कृष्ण कुमार महान्ति), फकीर मोहन विश्वविद्यालय ने अपने बहुआयामी अनुसंधान और शैक्षणिक प्रयासों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। भारत सरकार के ANRF (अनुसंधान राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान) की साझेदारी में और PIAIR कार्यक्रम (शैक्षणिक नवाचार और अनुसंधान के लिए संस्थागत प्रोत्साहन) के आर्थिक सहयोग से विश्वविद्यालय को संयुक्त अनुसंधान और अध्ययन के लिए अनुमोदित किया गया है।

इस गौरवपूर्ण मान्यता के तहत, फकीर मोहन विश्वविद्यालय एक "स्पोक" संस्था के रूप में कार्य करेगा, जबकि राउरकेला स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) "हब" की भूमिका निभाएगा। इस सहयोगात्मक परियोजना में NIT राउरकेला को नेतृत्व सौंपा गया है, जिसमें कई प्रतिष्ठित संस्थाएं "स्पोक" के रूप में शामिल हैं, जैसे कि वीर सुरेन्द्र साय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय - बुरला, संबलपुर विश्वविद्यालय, ओडिशा प्रौद्योगिकी और अनुसंधान विश्वविद्यालय - भुवनेश्वर, ओडिशा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय - भुवनेश्वर, अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT) - भुवनेश्वर, और गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय - लुधियाना, पंजाब।

पहले चरण में 30 से अधिक विश्वविद्यालयों को स्पोक के रूप में चुना गया था, और अंतिम चरण में केवल 7 को अनुमोदन प्राप्त हुआ। बेंगलुरु में आयोजित इस अंतिम चयन प्रक्रिया में फकीर मोहन विश्वविद्यालय की ओर से प्रोफेसर पंकज कुमार पाढ़ी, प्रोफेसर प्रकाश चंद्र मिश्रा और डॉ. निहार रंजन राउत ने प्रतिनिधित्व किया।

यह परियोजना दीर्घकालिक पर्यावरणीय स्थिरता और संतुलन पर केंद्रित है, और इसका लक्ष्य वैश्विक स्तर पर प्रासंगिक बहुविषयक अनुसंधान परिणामों को प्रोत्साहित करना है।

कुलपति प्रोफेसर संतोष कुमार त्रिपाठी के मार्गदर्शन और नेतृत्व में विश्वविद्यालय के अनुसंधानरत शिक्षकगण इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में सार्थक योगदान देने में सक्षम होंगे, ऐसी आशा व्यक्त की गई है।

यह उल्लेखनीय है कि फकीर मोहन विश्वविद्यालय ने अपने अनुसंधान और अध्ययन लक्ष्यों के तहत विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों, परिचर्चाओं और बैठकों का आयोजन कर राज्य में एक विशिष्ट पहचान बनाई है। पिछले वर्ष, विश्वविद्यालय के तीन शिक्षकों को विश्व के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों में स्थान मिला था।

यह मान्यता न केवल विश्वविद्यालय की अनुसंधान उत्कृष्टता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को प्रमाणित करती है, बल्कि समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने की इसकी क्षमता को भी उजागर करती है। यह विश्वविद्यालय के लिए गर्व का विषय है और भविष्य में नए तकनीकी व सशक्त शैक्षणिक सहयोग के लिए प्रेरणा प्रदान करेगी।