ओबीबीए द्वारा भाषापक्ष के दसवें दिन “ओड़िया भाषा की समृद्धि में राधा-कृष्ण प्रेम” विषय पर परिचर्चा आयोजित

बालेश्वर, 07/05 (कृष्ण कुमार महान्ति) — ओड़िया भाषा विकास आंदोलन (ओबीबीए) द्वारा आयोजित भाषापक्ष के दसवें दिन “ओड़िया भाषा की समृद्धि में राधा-कृष्ण प्रेम” विषयक एक विचारगोष्ठी वरिष्ठ साहित्यसेवी निरंजन राउत की अध्यक्षता में आयोजित की गई।
वक्ताओं ने सरला दास के समय से लेकर मध्ययुगीन और पदावली युग तक राधा-कृष्ण के दिव्य प्रेम ने किस प्रकार ओड़िया साहित्य को समृद्ध किया है, इस पर विस्तार से चर्चा की। डॉ. भागवत बेहरा ने दिनकृष्ण की रसकल्लोल, अभिमन्यु सामंतसिंहारा की बिदग्ध चिंतामणि, कविसूर्य बलदेव रथ की किशोर चंद्रानंद चंपू, तथा देवदुर्लभ दास की रहस्यमंजरी जैसे प्रमुख काव्यग्रंथों का विश्लेषण किया।
डॉ. बेहरा ने बिदग्ध चिंतामणि में दर्शाए गए अलौकिक व अव्यक्त प्रेम को भारतवर्ष की साहित्यिक परंपरा में अद्वितीय बताया। उन्होंने कहा कि जहाँ राम-सीता सांसारिक (प्राकृत) प्रेम के प्रतीक हैं, वहीं राधा-कृष्ण अलौकिक (अप्राकृत) प्रेम के प्रतीक हैं, जिसकी परंपरा जयदेव से शुरू होती है। उन्होंने आधुनिक युग के कवि रमाकांत रथ की श्रीराधा काव्य-कृति को भी चर्चा के केंद्र में रखा।
ओबीबीए के सचिव डॉ. लक्ष्मीकांत त्रिपाठी ने अपने प्रारंभिक वक्तव्य में बताया कि राधा-कृष्ण की लीला को वैश्विक मंच पर पहुँचाने में बाउल संप्रदाय की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। जुमरनाथ पात्र ने अतिथियों का स्वागत किया, शांतिलता पण्डा ने धन्यवाद ज्ञापन किया और कल्याणी नंदा तथा बनमाली दास ने राधा-कृष्ण पर आधारित एक ओड़िसी संगीत प्रस्तुति दी।
इस अवसर पर पद्मज साहित्य सम्मान प्राप्त सुप्रसिद्ध कहानीकार निवारण जेना को शुभकामनाएं एवं सम्मान प्रदान किया गया।
इस संगोष्ठी में शरत कुमार महापात्र, करुणाकर सा, प्रफुल्ल कुमार दास, राजेन्द्रनाथ राउत, पंडित संजय कुमार पण्डा, प्रभाकर साहू, हेमेन्द्र महापात्र, दीपक दास, नरेन्द्रनाथ पाणिग्राही, शांति बिशी, कृष्णा प्रधान, अरुणा राय, डॉ. क्षितीश्वर दास, दीपक बोस, लम्बोदर नायक, लक्ष्मीकांत बेहरा, मधुसूदन माझी, महेन्द्र प्रसाद पाणिग्राही, पीताम्बर दास, अवंती प्रधान, नित्यनंद राउत, संग्राम केशरी महान्ति, रमाकांत महान्ति एवं कमलाकांत दास उपस्थित थे।