“कवि समाज के लिए बौद्धिक विचारों को संजोकर रखते हैं,” अतिथि ने कहा
* प्रशांत दास की काव्य-पुस्तक प्रच्छद कविता के लिए आयोजित ‘कवर पोएट्री फेस्टिवल’
बालेश्वर, 23/11 (कृष्ण कुमार महान्ति): प्रच्छद कविता नामक एक विशेष आयोजन आज पूर्वाह्न आतिथ्य कॉन्फ़्रेंस हॉल में हुआ। यह कार्यक्रम कवि प्रशांत दास की नई काव्य-पुस्तक प्रच्छद कविता के स्वागत में आयोजित किया गया, जो ओड़िया काव्य-जगत में अपने विशिष्ट शिल्प के कारण चर्चा में है।
कार्यक्रम का उद्घाटन PXE के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. हिमांशु पंडा ने किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि कवि अपनी कविताओं को कई बार पढ़ते और पुनर्लेखन करते हैं, और कवि ही मानव समाज के लिए बौद्धिक विचारों को सुरक्षित रखते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रच्छद कविता प्रकाशन क्षेत्र में एक नया संदेश देती है। अतिथि संतोष दास ने भी विचार रखे और कहा कि आज लेखक समाज के चिकित्सक माने जाते हैं।
कवि एवं कथाकार गंगाधर बिश्वाल ने अपने विचार साझा किए। उनका कहना था कि प्रशांत की प्रच्छद कविता कवि की कल्पना और संवेदना का सुंदर प्रस्फुटन है, क्योंकि कवि सदैव कल्पनाशील होता है। पाठक शशिरंजन मलिक ने कहा कि पाठक ही कवि की रचना के निष्पक्ष मूल्यांकनकर्ता होते हैं और उन्हें विश्वास है कि इस पुस्तक की कविताएँ निश्चित रूप से पाठकों को स्पर्श करेंगी।
लेखकीय वक्तव्य में कवि प्रशांत दास ने बताया कि सह-लेखकों की प्रकाशित पुस्तकों और उनके प्रच्छदों ने उन्हें स्नेह से आलिंगन किया। उसी प्रेरणा से उन्होंने प्रच्छद कविता का सृजन और प्रकाशन किया, जिसे वे पाठकों को समर्पित करते हैं।
कार्यक्रम में कवर कलाकार केशु दास—जिन्होंने प्रशांत की पहली काव्य-पुस्तक जरी गोटाइबा झिअ और कहानी-संग्रह नीला मनिषा के प्रच्छद बनाए—को प्रच्छद कविता सम्मान से अलंकृत किया गया। सम्मान ग्रहण करते हुए उन्होंने कवि की इस नई सृजनात्मक पहल की सराहना की।
प्रच्छद कविता में शामिल कविताएँ प्रशांत दास द्वारा इन लेखकों की पुस्तकों और उनके प्रच्छदों पर लिखी गई हैं: दीप्ति दास, गंगाधर बिश्वाल, कृष्ण कुमार महान्ति, श्रीदेब, डॉ. राधारंजन पटनायक, उदय नारायण दास, सैरिंद्री साहू, निवारण जेना, सितांशु लेंका, अभय दास, रंजन बाउṅ, डॉ. देबाशीष पात्र, उत्पल महान्ति, ज्योत्स्ना बिश्वाल, सत्य साहू, शुभेन्दु दास, क्षीरोड बिहारी बिश्वाल, डॉ. संतोष नायक, संजय पंडा, प्रियंका प्रियदर्शिनी दास और स्वयं प्रशांत दास।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में बिप्लव दास महापात्र और राजेश गिरि ने संचालक रूप में भूमिका निभाई, जबकि कवि मधुसूदन मिश्र ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। कविताओं के उत्साही पाठक डॉ. जगन्नाथ खटुआ ने भी अपने अनुभव साझा किए।
अंत में कार्यक्रम का समापन काव्यमय वातावरण में हुआ, जहाँ उपस्थित लेखकों ने अपनी-अपनी पुस्तकों पर लिखी कविताओं का वाचन किया। विभिन्न महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं और साहित्यप्रेमियों की सहभागिता ने इस उत्सव को सफल बनाया।