पुस्तकें समाज को सभ्य और समृद्ध बनाती हैं : मुख्य अतिथि
•‘बहीघर-विद्याभारती’ की ओर से मनाया गया ‘विश्व पुस्तक दिवस’

बालेश्वर, 26/4 (कृष्ण कुमार महांति):
पुस्तकें व्यक्ति और समाज दोनों को सभ्य और समृद्ध बनाती हैं। प्रत्येक व्यक्ति जब पुस्तकें पढ़कर ज्ञान प्राप्त करता है, तब वह एक आलोकित और समुन्नत विश्व की ओर अग्रसर होता है। जहाँ पुस्तकों और पुस्तकालयों का सम्मान होता है, वहाँ स्थानीय नेतृत्व भी पनपता है। जिन देशों में अधिक पुस्तकालय होते हैं, वहाँ से अधिक नोबेल पुरस्कार विजेता भी निकलते हैं। इसलिए हर घर में जैसे पूजा का स्थान और भंडार गृह होता है, वैसे ही एक ‘बहीघर’ या पुस्तकालय होना चाहिए।
बालेश्वर के आजीमाबाद स्थित प्रकाशन संस्था बहीघर और विद्याभारती की ओर से आयोजित 'विश्व पुस्तक दिवस' समारोह में यह बात अतिथियों ने कही। इसी अवसर पर घर-घर में बहीघर और बहीघर में वर्ष भर पुस्तक मेला अभियानों का शुभारंभ किया गया।
विद्याभारती के निदेशक अभय दास के संचालन में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थीं बस्ते की विधायक एवं रेबती पत्रिका की संपादिका सुबासिनी जेना। मुख्य वक्ता के रूप में फकीर मोहन विश्वविद्यालय के भाषा विभाग के लेखक एवं शोधकर्ता डॉ. देवाशीष पात्र ने संबोधित किया।
विशिष्ट अतिथियों में शामिल थे—प्रख्यात समाजसेवी श्री भगवान दास, बालेश्वर नगर परिषद के पार्षद श्री सत्यशिव सुंदर दास, लेखक एवं सांस्कृतिक आयोजक डॉ. राधारंजन पटनायक, तथा शिक्षाविद डॉ. पंकज जेना। इन्होंने पुस्तकों की प्रासंगिकता और महत्त्व पर अपने विचार रखे।
प्रसिद्ध लेखक और स्तंभकार भास्कर परिच्छा की कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकों का लोकार्पण भी अतिथियों द्वारा किया गया। इस अवसर पर समाजसेवी सुमंत जेना, लेखक विजय दास अधिकारी, नाटककार पीतांबर दास, युवा नेता शुभम साई महापात्र, युवा उद्यमी उत्पल कुमार कर और बाल नृत्यांगना एवं संगीत कलाकार शुभ्रालिन नायक को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमले में शहीद हुए लोगों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट के मौन से हुई। तत्पश्चात अतिथियों ने घर-घर में बहीघर और वर्ष भर पुस्तक मेला अभियानों के पोस्टर का अनावरण किया।
इस आयोजन का संयोजन समय का चक्र पत्रिका के संपादक सर्वेश्वर जेना ने किया, और धन्यवाद ज्ञापन बहीघर की निदेशिका मंजुलता बल ने किया। कार्यक्रम के संचालन में विद्यानायक, देवाशीष पंडा, दिलीप पंडा, तरुप्रभा दास, सुचिस्मिता कर, रश्मिता प्रमाणिक, मानसी जेना, सुधांशु महालिक और अपर्णा जेना ने सहयोग किया।