कनकलता दास जोर-शोर से जुटीं 'जउकंढेई विवाह झांकी' निर्माण में

* राज्य पुरस्कार विजेता शिल्पी कनकलता दास बनाएंगी 2025 की जउकंढेई विवाह झांकी

May 8, 2025 - 19:18
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कनकलता दास जोर-शोर से जुटीं 'जउकंढेई विवाह झांकी' निर्माण में

बालेश्वर, 8/5 (कृष्ण कुमार महांती):
बालेश्वर का पारंपरिक 'जउकंढेई विवाह उत्सव' हर साल की तरह इस बार भी भव्यता से मनाया जाने वाला है, और इस उत्सव की केंद्रबिंदु झांकी निर्माण में प्रख्यात जउकंढेई शिल्पी कनकलता दास पूरी तन्मयता से जुटी हुई हैं। ग्रामीण विवाह परंपराओं के जीवंत प्रदर्शन के लिए प्रसिद्ध यह लोक उत्सव, इस बार उनके मार्गदर्शन में और भी कलात्मक रूप में सामने आने जा रहा है।

सरकार द्वारा 'कलाकृति पुरस्कार' से सम्मानित कनकलता दास इस बार की विवाह झांकी को सांस्कृतिक समृद्धता से भरपूर रूप देने में लगी हैं। उनकी कृतियों में पालकी में दूल्हा-दुल्हन, आदिवासी नृत्य, पीतल की कठपुतलियाँ, मोहल्ले की यात्रा, ढोल-बाजे और दोनों पक्षों के पारंपरिक नृत्य आदि का सजीव चित्रण अनोखी लोक कला शैली में किया गया है।

पारंपरिक जउकंढेई शिल्प की शिक्षा उन्हें दिवंगत गुरु सावित्री नंदी से प्राप्त हुई थी, वहीं अपनी शिल्प तकनीक को उन्होंने कलाकार केशु दास के साथ और निखारा। रेउना के पास कोशांबा की निवासी कनकलता ने न सिर्फ इस कला को साधा है, बल्कि 150 से अधिक महिलाओं को इस शिल्प में प्रशिक्षित कर आत्मनिर्भर भी बनाया है।

वर्षों से उन्हें ज्ञानश्री स्वयंसेवी संगठन, जउकंढेई विवाह उत्सव समिति, 'सम्बाद', 'प्रमेय', नृत्य मंडलियों, बीजेपी महिला मोर्चा और बालेश्वर नगर पालिका समेत कई संस्थाओं से सम्मान प्राप्त हुआ है। उन्होंने विलुप्त होती इस लोक कला में नवाचार द्वारा नयी जान फूंकी है।

उनकी एक हस्तनिर्मित जउकंढेई कृति 2020 में विश्व पोस्टकार्ड दिवस पर भारतीय डाक विभाग द्वारा पोस्टकार्ड पर मुद्रित की गई थी। इसके अतिरिक्त, उन्होंने एक रथ यात्रा की जउकंढेई झांकी ओडिशा के तत्कालीन राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल को भेंटस्वरूप भी प्रदान की थी। उनके सहयोग से बनी 5 फुट ऊँची विवाह झांकी अब चिलिका स्थित 'ओडिआ आर्ट म्यूज़ियम' में स्थायी रूप से स्थापित है। ओडिशा राज्य संग्रहालय और कलाभूमि म्यूज़ियम ने भी उनकी कलाकृतियाँ संग्रहित की हैं।

कनकलता दास ने पारंपरिक जउकंढेई को पक्षी, देवी-देवता, घरेलू वस्तुएँ और सजावटी तत्वों के साथ संयोजित कर इसे एक समृद्ध लोककला के रूप में प्रस्तुत किया है। उनके द्वारा निर्मित प्रमुख झांकियाँ— जउकंढेई विवाह शोभायात्रा, जगन्नाथ जी की रथयात्रा, और दशावतार—कलात्मक सौंदर्य की उत्कृष्ट मिसालें हैं।