आहट

तिनका तिनका जोड़कर आशा,
बुदंबुदं होकर सागर बनें,
तिल तिल कर जलता है दम,
चुनचुन कर मोतीयों को चुनें।।
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सरऱ सरऱ रुप हवा चलें,
गुनगुन भवरें गुनगुनाते,
पिहु पिहुकरके कौयल गाती,
घडघड के बादल गरजते ।।
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धकधक कर धड़कता है दिल,
छमछम कर नाचती हैं मौर,
चुँ चुँकर बोलती चिड़िया,
सा सा करके सांसो का डोर ।।
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अनगिनत सूर भरा चितवन,
सातसुरों की संगीत,
रोमरोम वशीभूत श्रध्दाभाव,
रगरग स्नेह प्रीत ।।
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मधुस्मिता साहु,
ब्रह्मा नगर प्रथम गली,
ब्रह्मपुर,
गंजाम जिले ,ओडिशा