जीवन

ज़िन्दगी की राहों पर गुजरते,
अचानक मिलगइ,
आशियाना ढेर सारा दस्तक दे,
दरबाजे खड़ी हुई।।
मेहमान बनकर आए हुए,
धन, शान्ति समृद्धि को,
अपना बना कर सत्कार कर,
हमेशा रखो उनको ।।
कभी मुस्कान कभी रोना यही तो,
जीवन की रीत मानो ,
ऊतार-चढाव उसुलों की बीज,
बुराई अच्छे को जानो।।
सीढ़ियों को चढ़ते फिसलना ही,
सच्चे सफलता पाना,
हारे हुए बाजी को जीत में लिऐ,
तकदीर बदलना ।।
भुले हुए यादों को ताजा करना,
यादे कुछ शिख देता,
हर पलोकों खुशीसे अपनाना,
जीवन शैली बनाता।।
चारदिन ज़िन्दगी मौज मनाना,
मिलजुलके रहना,
सब छोडदेना कुछ नहीं लेना ,
अकेले ही हमें जाना ।।
मधुस्मिता साहु
ब्रह्मा नगर,
ब्रह्म पुर
जिल्ला-गंजाम
ओडिशा
पिन-७६०००१
मो९३४८२८५४१६