जिंदगी

May 3, 2025 - 20:10
May 3, 2025 - 20:15
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जिंदगी

By: मधुस्मिता साहु 

जिंदगी एक बदलते हुए धारा 
ग़म से कायम है किनारा 
 नैया का डुबने से मिलना मुश्किल 
 फिर भी हौसला मिला हासिल।।
 उम्मीद में बनी संसार उसी में सार
 मेहसुस का एहसास ही त्योहार 
खुशी यहां मेहमान बनगये
चाहे धुप है चाहे छांव आये।।
पनघट पर आये बादल  या बाहर 
 कदमों को छुता रहा ।।
दुःख की भंवर में फंसे हुए मिले
गहराई से मोती यों को समेटले
मौजूदगी में रुकना नहीं चाहिए 
 हारके कभी बैठना नहीं रहिए ।।
बाहें पसारे आनमिले खुशी का पल
हर एक पहलू में आयेगी अनमोल 
खुद हिम्मत से जुड़े हुए रहना है।
जीना और जीने की कला शिखाना है। 

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ब्रह्मा नगर प्रथम गलि 
ब्रह्मपुर 
जिल्ला--गंजाम
ओडिशा 
दुर भाषा ----९३४८२८५४१६