"उत्कल सम्मिलनी" पर विचार गोष्ठी : "ओड़िया भाषा विकास आंदोलन" द्वारा भाषापक्ष के बारहवें दिन का आयोजन

बालेश्वर | 9 मई (कृष्ण कुमार महांति):
ओड़िया भाषा विकास आंदोलन द्वारा मनाए जा रहे भाषापक्ष के बारहवें दिन "उत्कल सम्मिलनी" विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसकी अध्यक्षता डॉ. चौधुरी सत्यव्रत नंद ने की।
इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. नंद ने कहा कि बालेश्वर में आयोजित उत्कल सम्मिलनी का बारहवां अधिवेशन ओड़िया जाति की सामूहिक चेतना में एक जीवंत स्पंदन के समान है—दीप्तिमान, स्थायी और भावी पीढ़ियों के लिए अविस्मरणीय।
इस अवसर पर डॉ. लक्ष्मीकांत त्रिपाठी द्वारा संपादित "उत्कल सम्मिलनी का द्वादश अधिवेशन, बालेश्वर" नामक ग्रंथ का अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया। 160 पृष्ठों की इस पुस्तक में उत्कल सम्मिलनी, देशभक्ति से ओतप्रोत भारत गीतिका, तथा वंदे उत्कल जननी से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की गई है।
पूर्व अध्यक्ष डॉ. क्षितीश्वर दास ने ओड़िया भाषा की प्राचीनता और ओड़िया जाति की पूर्व-ईसापूर्व काल से चली आ रही विरासत की चर्चा करते हुए बताया कि उत्कल सम्मिलनी के माध्यम से ओड़िशा एक स्वतंत्र ओड़िया भाषी राज्य बन पाया।
एक अन्य वक्ता डॉ. शिरीष चंद्र जेना ने 1902 में उत्कल सम्मिलनी की स्थापना से लेकर 1936 में ओड़िशा के स्वतंत्र राज्य बनने तक की यात्रा और विशेष रूप से बालेश्वर में आयोजित द्वादश अधिवेशन की भूमिका पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में कुमारनाथ पात्र ने मंच पर अतिथियों का स्वागत किया, जबकि शाजिलता पंडा ने उद्घाटन भाषण दिया। समापन वक्तव्य कवि दीपक बोस ने प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर उपस्थित प्रमुख लोगों में निरंजन राउत, डॉ. हेमा माला दास, कमलकांत दास, प्रदीप चटर्जी, निबारन जेना, प्रफुल्ल कुमार दास, राजेन्द्रनाथ राउत, कमलकांत नायक, कविता जेना, शारी बिशी, कृष्णा प्रधान, अरुणा राय, पंडित संजय कुमार पंडा, डॉ. रत्नाकर सिंह, शरत कुमार महापात्र, कल्याणी नंद, दीपक दास, डॉ. सारंगधर त्रिपाठी, प्रभाकर साहू, लक्ष्मीकांत बेहेरा, मनमथ कुमार साहू, डॉ. लक्ष्मण चरण विश्वान, सुनामणि जेना, अर्चना नंदी, करूणाकर सा, विद्याधर साहू, मधुसूदन माझी, नरेन्द्रनाथ पाणिग्राही, महेन्द्र प्रसाद पाणिग्राही, अबंती प्रधान, रमाकर महांति, नित्यनंद राउत तथा पीतांबर दास आदि शामिल थे।