फकीर मोहन विश्वविद्यालय में प्रतिष्ठित प्राध्यापकों द्वारा विशेष व्याख्यान आयोजित

May 9, 2025 - 19:26
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फकीर मोहन विश्वविद्यालय में प्रतिष्ठित प्राध्यापकों द्वारा विशेष व्याख्यान आयोजित

बालेश्वर | 9 मई (कृष्ण कुमार महान्ति): फकीर मोहन विश्वविद्यालय में श्रेष्ठ शैक्षणिक परंपराओं के अंतर्गत हाल ही में एक महत्वपूर्ण विशेष व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया गया, जिसमें प्रतिष्ठित प्राध्यापकों ने भाग लिया।

भुवनेश्वर स्थित इंटरनेशनल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट (आईएमआई) के दो प्रख्यात प्राध्यापक—प्रोफेसर सुप्रीति मिश्रा और प्रोफेसर प्रत्युष बनर्जी—ने इस अवसर पर सारगर्भित और ज्ञानवर्धक व्याख्यान प्रस्तुत किए।

प्रोफेसर सुप्रीति मिश्रा, डीन (अकादमिक्स), आईएमआई भुवनेश्वर, ने “ईएसजी में ‘एस’ का विश्लेषण” विषय पर एक गंभीर और विश्लेषणात्मक व्याख्यान दिया, जिसे विश्वविद्यालय के पीएमआईआर स्नातकोत्तर विभाग द्वारा आयोजित किया गया था। उन्होंने पर्यावरणीय, सामाजिक एवं शासन-संबंधी (ईएसजी) मानकों की वर्तमान निवेश प्रणाली में बढ़ती भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अब कई म्यूचुअल फंड, ब्रोकरेज फर्म और रोबो एडवाइज़र ईएसजी आधारित निवेश उत्पाद प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कॉर्पोरेट्स की पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी, सामाजिक दृष्टिकोण और शासन नीतियों पर भी विस्तार से चर्चा की।

प्रोफेसर प्रत्युष बनर्जी, आईएमआई भुवनेश्वर, ने “गुणात्मक एवं मिश्रित पद्धति अनुसंधान—सिद्धांत और व्यवहार” विषय पर व्याख्यान दिया, जिसे स्नातकोत्तर कंप्यूटर विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित किया गया था। उन्होंने अपने व्याख्यान में ओडिशा के कई आदिवासी क्षेत्रों में अनुसंधान की कमी को रेखांकित करते हुए, गुणात्मक अनुसंधान की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के अध्ययन भविष्य में महत्त्वपूर्ण दस्तावेज के रूप में उपयोगी हो सकते हैं।

इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर संतोष कुमार त्रिपाठी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे और उन्होंने आमंत्रित अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने विश्वविद्यालय परिवार को बधाई देते हुए कहा कि चूंकि यह विश्वविद्यालय आदिवासी बहुल क्षेत्र में स्थित है, इसलिए इस प्रकार के नवाचारपूर्ण अनुसंधान कार्यक्रम सामाजिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

स्नातकोत्तर परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर भास्कर बेहरा ने भी कार्यक्रम में भाग लिया और प्रतिभागियों को इन व्याख्यानों से यथासंभव लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया।

दोनों व्याख्यानों में विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी और स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।