दुनिया की पहली गैर-लाभकारी प्रकाशन संस्था ‘बाग्मी पब्लिकेशन्स’ ने जारी की 40 पुस्तकें
•कला, साहित्य और समाजसेवा को जोड़ने की अनोखी पहल

बालेश्वर, 7 अक्टूबर (कृष्ण कुमार मोहंती):
अन्वेषण चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित विश्व की पहली और एकमात्र गैर-लाभकारी प्रकाशन संस्था बाग्मी पब्लिकेशन्स का पहला वार्षिकोत्सव आरंभ 2025 हाल ही में भुवनेश्वर स्थित बुद्ध मंदिर सभागार के नए प्रकोष्ठ में आयोजित किया गया।
इस अवसर पर 30 लेखकों और कवियों की 40 पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। अन्वेषण चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक तथा बाग्मी पब्लिकेशन्स के प्रकाशक सूर्यकांत प्रधान ने अपने उद्बोधन में कहा कि उनका उद्देश्य साहित्य को समाजसेवा से जोड़ना है। उन्होंने बताया कि आर्थिक सीमाएँ रचनात्मकता में बाधा न बनें, इस भावना से संस्था सभी पुस्तकों का प्रकाशन निःशुल्क कर रही है। लेखकों ने इस सराहनीय पहल के लिए प्रकाशक के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। पुस्तकों की बिक्री से प्राप्त समस्त राशि समाजसेवा में समर्पित की जाएगी—यह संकल्प लेखकों और प्रकाशक ने संयुक्त रूप से लिया।
कार्यक्रम की एक और विशेष आकर्षण था सम्मान समारोह, जिसमें 30 लेखकों को ‘बाग्मी सम्मान’ से सम्मानित किया गया। प्रत्येक को उत्तरीय, प्रशस्ति पत्र, पौधा और श्रीमद्भगवद्गीता भेंट की गई। समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाले 15 व्यक्तियों को ‘कर्तव्य निष्ठा सम्मान’ प्रदान किया गया, जबकि अन्वेषण संस्था से निरंतर जुड़े 80 सहयोगियों को ‘गार्डियंस ऑफ होप’ सम्मान से अलंकृत किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ फिल्म अभिनेता, निर्देशक और राजनेता प्रशांत नंदा उपस्थित थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रसिद्ध गायक एवं संगीतकार लक्ष्मीकांत पालित, और समाज तथा सत्यवादी के पूर्व संपादक, मुद्रक व प्रकाशक डॉ. प्रवास चंद्र आचार्य शामिल हुए। मुख्य वक्ता के रूप में बकुल फाउंडेशन के संस्थापक सुजीत महापात्र ने संबोधन दिया। इस अवसर पर हरमोहन दास, बाग्मी पब्लिकेशन्स के सलाहकार, तथा डॉ. देवीप्रसाद स्वाईं, अन्वेषण परिवार के सलाहकार भी उपस्थित थे।
अन्वेषण संस्था की मदद से शिक्षा और रोजगार प्राप्त करने वाले दो दृष्टिबाधित लाभार्थी आश्रिता सुंदर और संतोष राउत ने मंच पर अपने अनुभव साझा करते हुए संस्था के प्रति आभार व्यक्त किया।
समारोह का संचालन संस्थापक सूर्यकांत प्रधान ने स्वयं किया और अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।