OBBA ने मनाया भाषा सप्ताह: तीसरे दिन ओड़िया साहित्य के इतिहास के पुनर्मूल्यांकन पर चर्चा

बालेश्वर, 30/4 (कृष्ण कुमार महांति): 'ओड़िया भाषा विकास आंदोलन' (OBBA) द्वारा मनाए जा रहे भाषा सप्ताह के तीसरे दिन ओड़िया भाषा और साहित्य के इतिहास पर एक विचारोत्तेजक पैनल चर्चा आयोजित की गई।
चर्चा सत्र की शुरुआत "एक रचनात्मक जिज्ञासा" विषय से हुई, जिसमें यह प्रश्न केंद्र में था—चर्यागीति और सरला दास की महाभारत के बीच क्या वास्तव में कोई अन्य ओड़िया कवि या साहित्यिक कृति नहीं थी? यदि पहले से कोई ओड़िया साहित्यिक रचना नहीं थी, तो सरला दास इतनी महान काव्यकृति कैसे रच सके? यदि सरला दास अपने पिछले जन्म में कालिदास थे, तो अगले जन्म में वे किस कवि के रूप में जन्मे?
डॉ. शिरीष चंद्र जेना ने ओड़िया भाषा की दो हजार वर्षों की विरासत पर चर्चा करते हुए उसका ऐतिहासिक खाका प्रस्तुत किया और यह स्पष्ट किया कि ओड़िया भाषा ने शास्त्रीय भाषा का दर्जा क्यों और कैसे प्राप्त किया। उन्होंने यह भी बताया कि चर्यागीति और सरला दास के बीच के समय में लोकजीवन की विविधता ने साहित्यिक चेतना को प्रभावित किया हो सकता है, लेकिन उस प्रभाव का समुचित दस्तावेजीकरण अभी तक नहीं हो सका है।
प्रोफेसर देवाशीष पात्र ने ओड़िया साहित्य के इतिहास के पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उनका कहना था कि सरला दास से भी पहले लुइपा की कविताओं ने ओड़िया साहित्य को समृद्ध किया और इसलिए लुइपा को ही आदिकवि कहा जाना चाहिए। हालांकि सरला दास महान कवि थे, लेकिन "आदिकवि" का गौरव लुइपा को दिया जाना चाहिए।
फिक्शन लेखक निबारन जेना की अध्यक्षता में आयोजित इस चर्चा में डॉ. चौधुरी सत्यव्रत नंदा और अभिनेता निरंजन राउत ने भी ओड़िया साहित्य की विरासत पर अपने विचार साझा किए। संपादक डॉ. लक्ष्मीकांत त्रिपाठी ने उद्घाटन भाषण दिया, जबकि संयुक्त सचिव जुमरनाथ पात्र ने मंच संचालन किया। दूसरी संयुक्त सचिव शांतिलता पंडा ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
अन्य उपस्थित जनों में तपन राय, शरत कुमार महापात्र, अरुणा राय, डॉ. क्षितीश्वर दास, करुणाकर सा, कमलकांत दास, कल्याणी नंदा, राजेंद्रनाथ राउत, रितेश कुमार दास, मन्मथ कुमार साहू, संजय कुमार पंडा, नरेंद्रनाथ पाणिग्राही, अर्जना नंदी, शांति बिशी, ममता दास, प्रफुल्ल कुमार दास, लक्ष्मीकांत बेहेरा, प्रभाकर साहू, अवंती प्रधान, तृप्तिरानी पात्र, देवाशीष सिंह, विद्याधर साहू, डॉ. रत्नाकर सिंह, प्रतिमा पंडा और दीपक बोस शामिल थे।