उपन्यासों का सामाजिक प्रभाव कभी-कभी समाज को बदल सकता है – अतिथियों ने कहा
* 'प्रजापति' द्वारा ‘उपन्यास और उपन्यासकार’ पर केंद्रित अनोखा कार्यक्रम ‘बिन्यास’ का आयोजन

बालेश्वर, 22/05 (कृष्ण कुमार मोहंती): समकालीन उपन्यास और उपन्यासकारों के सामाजिक प्रभाव पर केंद्रित एक अनोखा साहित्यिक कार्यक्रम ‘बिन्यास’ का आयोजन कल स्थानीय अतिथ्य भवन में साहित्यिक मंच ‘प्रजापति’ द्वारा एक चिंतनशील वातावरण में किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कवि प्रशांत दास ने की, जो ‘प्रजापति’ के साहित्यिक प्रकोष्ठ ‘अक्षर’ के संस्थापक हैं। 'बिन्यास' परिचर्चा सत्र का शुभारंभ अतिथि उपन्यासकार निबारण जेना, गंगाधर बिश्वाल और चित्तरणजन चिरंजीत द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। अतिथियों ने उपन्यासों और कहानियों की संरचना और विषयवस्तु पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक उपन्यास अपने समय की संवेदनाओं को प्रतिबिंबित करता है और समकालीन सामाजिक समस्याओं को उजागर करता है। उपन्यास और उसका सामाजिक प्रभाव आपस में गहराई से जुड़े होते हैं। उपन्यास, कहानी या कविता का प्रभाव चाहे प्रत्यक्ष न हो, परंतु वह अक्सर एक सूक्ष्म किंतु प्रभावशाली असर छोड़ता है।
विशेष अतिथि के रूप में कवि श्रीदेव, कवि-संपादक कृष्ण कुमार मोहंती और डॉ. संतोष कुमार नायक ने ‘उपन्यासों का सामाजिक प्रभाव’ विषय पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि जब किसी उपन्यास की कथा सामाजिक उत्तरदायित्व और प्रतिबद्धता को आत्मसात करती है, तो वह पाठकों पर गहरा प्रभाव छोड़ती है।
अतिथि कवि अभय दास और उत्पल मोहंती ने ‘उपन्यास में पाठक का आनंद’ विषय पर बोलते हुए कहा कि उपन्यासकार को अपनी भावनाएं और संवेदनाएं व्यक्त करने की पूरी स्वतंत्रता होती है, और जब कोई उपन्यास सामाजिक जीवन के ताने-बाने में रच-बस जाता है, तब पाठक और लेखक दोनों को ही गहन संतोष की अनुभूति होती है।
कार्यक्रम का शुभारंभ उद्घोषक बिप्लव दास महापात्र के स्वागत भाषण से हुआ। तत्पश्चात संपादक राजेश गिरि ने भूमिका प्रस्तुत की और संयोजक कवि मधुसूदन मिश्रा ने अतिथियों का परिचय कराया। सरस्वती भोई, प्रतिमा त्रिपाठी, रोज़ालिन सतपथी और सुभश्री दास जैसे विशिष्ट अतिथियों को पारंपरिक गमछा और पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का समापन एक रोचक प्रश्नोत्तर सत्र के साथ हुआ, जिसमें पार्थसारथी साहू, शुभ्रांशु पंडा और संतोष दलाई ने उपन्यास लेखन पर सारगर्भित प्रश्न पूछे। धन्यवाद ज्ञापन अमरजीत दास ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन संजीव नायक, सुजाता दास, रंजनाघोष, जीवनज्योति स्वैन, रश्मि स्वैन, रश्मिता अगरिया, प्रेयसी महापात्र, रंजनाघोष, सुप्रभा दलाई और नंदिता नायक ने सुचारू रूप से किया।