फकीर मोहन विश्वविद्यालय में भव्य रथ यात्रा समारोह : कुलपति ने निभाई भगवान की समस्त सेवा-परंपराएँ

बालेश्वर, 27 जून (कृष्ण कुमार मोहंती) – फकीर मोहन विश्वविद्यालय का परिसर भगवान श्रीजगन्नाथ की रथ यात्रा के पावन अवसर पर आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक उल्लास से ओतप्रोत हो उठा। आस्था और ज्ञान का समन्वय करते हुए यह पर्व एकता, आनंद और श्रद्धा का संदेश प्रसारित करता रहा।
नवयौवन वेष और नेत्रोत्सव की विधियों के उपरांत कुलपति प्रो. संतोष कुमार त्रिपाठी ने भगवानों के मुख्य सेवक की भूमिका में सभी सेवा-कार्य संपन्न किए। विश्वविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी और छात्र-छात्राओं ने चारों भगवानों को पहांडी बीजे परंपरा के अनुसार एक साथ शोभायात्रा में ले जाकर रथ पर विधिपूर्वक विराजमान किया।
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रथयात्रा के दौरान घंटियों, शंखों, मृदंग की ध्वनि और राजसी चामर डुलाने के बीच वातावरण भक्तिमय हो उठा। विद्यार्थियों द्वारा गाए जा रहे भजन और कीर्तन इस आध्यात्मिक उत्सव को एक दिव्य आयाम प्रदान कर रहे थे।
अनुष्ठान में छेड़ा पहाड़ा, परंपरागत भोग-नैवेद्य अर्पण, और रथ खींचने की सेवा भी विधिवत संपन्न हुई। जब रथ यात्रा मौसी माँ मंदिर परिसर पहुँची, तब सामूहिक संकीर्तन और भजन-गायन ने वातावरण को और भी आध्यात्मिक बना दिया।
इस अवसर पर भाषा और साहित्य विभाग के अध्यक्ष प्रो. देबाशीष पात्र ने भगवान श्रीजगन्नाथ की सांस्कृतिक महत्ता पर एक विचारोत्तेजक और गहन व्याख्यान प्रस्तुत किया।
अंत में चतुर्धा मूर्ति एवं श्री सुदर्शन को परिसर स्थित श्री गुंडीचा मंदिर में विधिपूर्वक स्थापित किया गया, तथा भोग-प्रसाद वितरण के साथ यह महापर्व सम्पन्न हुआ।
गौरतलब है कि विश्वविद्यालय अक्षय तृतीया से नीलाद्रि विजे तक जगन्नाथ संस्कृति की समस्त परंपराओं और उत्सवों का वर्षभर पूर्ण श्रद्धा, अनुशासन और भक्तिभाव से पालन करता है।