कथाकार कन्हेईलाल दास की 78वीं जयंती पर राज्यस्तरीय श्रद्धांजलि समारोह: सरोज बल को ‘कन्हेई कथा सम्मान’ से सम्मानित
* मात्र 28 वर्ष की आयु में 1975 में हुआ निधन

बालेश्वर, 27 जून (कृष्ण कुमार मोहन्ती) – अल्पायु में इस दुनिया को अलविदा कहने के बावजूद, ओड़िया साहित्य में कथाकार कन्हेईलाल दास ने जो अमिट छाप छोड़ी, वह आज भी जीवित है। उनकी 78वीं जयंती के उपलक्ष्य में ओडिशा साहित्य अकादमी और कन्हेईलाल दास स्मृति संसद के संयुक्त तत्वावधान में 25 जून की संध्या को गीतगोविंद भवन, भुवनेश्वर में एक गरिमामय राज्यस्तरीय श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया गया।
अपने स्वागत भाषण में ओडिशा साहित्य अकादमी के सचिव चन्द्रशेखर होटा ने कहा कि “कन्हेईलाल स्वयं को ‘स्वप्न सम्राट’ कहा करते थे। वे विलक्षण प्रतिभा के धनी थे, जिनके भीतर रचनात्मकता का अथाह भंडार था। मात्र 28 वर्ष की उम्र में उनके निधन से ओड़िया साहित्य ने एक अनमोल रत्न खो दिया, पर उनकी साहित्यिक विरासत आज भी नई पीढ़ी को प्रेरित करती है।”
समारोह के मुख्य अतिथि, वरिष्ठ साहित्यकार शांतनु कुमार आचार्य ने कहा कि वे स्वयं 1933 में जन्मे थे जबकि कन्हेईलाल 1947 में। यह पीढ़ीगत अंतर उनके दृष्टिकोण में भी झलकता था। स्वतंत्रता के बाद जन्मे कन्हेईलाल की कहानियों में समाज के प्रति एक नया दृष्टिकोण था, जिसने उन्हें अपने समय का एक अग्रदूत बना दिया।
मुख्य वक्ता अजय स्वैन ने अपने संबोधन में कन्हेईलाल के जीवन के अनेक अंतरंग पहलुओं को साझा करते हुए कहा कि “जीवन के अंतिम दिनों में उन्होंने मानसिक पीड़ा और आर्थिक कठिनाइयों का सामना किया, परंतु ओड़िया लघुकथा को एक नया मोड़ देने में वे सफल रहे। वे बहुत से अधूरे स्वप्न लेकर इस संसार से विदा हुए।”
भोगराई विधायक और प्रसिद्ध कहानीकार गौतमबुद्ध दास ने कहा कि वे बचपन से ही कन्हेईलाल की कहानियों से गहराई से प्रभावित थे। उन्होंने दुख जताया कि “कन्हेईलाल के जीवनकाल में उनकी कोई पुस्तक प्रकाशित नहीं हो सकी—उनकी सारी रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं तक ही सीमित रहीं।”
Product link -
Powered by myUpchar
Product Name - myUpchar 2% Salicylic Acid Serum For Acne, Pimples, Blackheads & Open Pores for both Women & Men - 50ml
Product Link -
Powered by myUpchar
कवयित्री अपर्णा मोहन्ती ने स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि “एक बार कन्हेईलाल ने मुझसे कहा था कि साहित्य ही उनके जीवन की तमाम पीड़ाओं से मुक्ति का एकमात्र साधन है।”
इस अवसर पर युवा कथाकार सरोज बल को ‘कन्हेई कथा पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया, जो कन्हेई स्मृति संसद द्वारा प्रदान किया गया। समारोह की अध्यक्षता संसद के अध्यक्ष सुभाष चंद्र पात्र ने की। उत्कल मोहन्ती ने कार्यक्रम का संपादकीय उद्बोधन प्रस्तुत किया।
समारोह का आरंभ ओडिशा साहित्य अकादमी के संयुक्त सचिव संजय कुमार छुालसिंह द्वारा मंचासीन अतिथियों के परिचय और स्वागत से हुआ। कार्यकारी अध्यक्ष कृष्ण कुमार मोहन्ती ने सरोज बल के नाम प्रशस्तिपत्र का वाचन किया। इस दौरान सरोज बल ने कहा कि उन्हें कन्हेईलाल दास की कहानियों से गहरी प्रेरणा मिली है।
कार्यक्रम का संचालन एवं समापन भी संजय कुमार छुालसिंह ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया। समारोह में भुवनेश्वर शहर से अनेक प्रतिष्ठित साहित्यकार, पत्रकार, बुद्धिजीवी और कन्हेईलाल के प्रशंसक उपस्थित रहे।