खरीफ धान खरीदी नियमों में विसंगतियों को लेकर बीजू जनता दल की प्रतिनिधिमंडली ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

Jul 25, 2025 - 21:09
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खरीफ धान खरीदी नियमों में विसंगतियों को लेकर बीजू जनता दल की प्रतिनिधिमंडली ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

बालेश्वर, 25 जुलाई (कृष्ण कुमार महांती): खरीफ धान खरीदी सीज़न शुरू होने में कुछ ही महीने बचे हैं, और ऐसे में ओडिशा सरकार द्वारा जारी किए गए नए पंजीकरण नियमों ने किसानों के बीच असंतोष की लहर फैला दी है। 19 जुलाई से 20 अगस्त तक पंजीकरण अनिवार्य किया गया है, पर जो प्रक्रिया किसानों को सहायता प्रदान करने के लिए बनाई गई थी, वही अब उनके लिए सिरदर्द बन गई है। किसानों का कहना है कि ये दिशा-निर्देश अत्यधिक जटिल और विरोधाभासी हैं, जिससे यह योजना मदद से ज़्यादा जाल जैसी प्रतीत हो रही है।

किसानों की इस परेशानी को लेकर बीजू जनता दल की एक प्रतिनिधिमंडली ने पूर्व सांसद रबिन्द्र कुमार जेना के नेतृत्व में शुक्रवार को बालेश्वर कलेक्टर से मुलाकात की और तत्काल नियमों को सरल बनाने की मांग करते हुए एक ज्ञापन सौंपा। जेना ने चेतावनी दी कि यदि इन नियमों में शीघ्र सुधार नहीं किया गया, तो ज़िले के हज़ारों किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी खरीफ धान बेचने के अधिकार से वंचित रह जाएंगे।

ज्ञापन में कई विसंगतियों की ओर ध्यान दिलाया गया। जैसे, किसी ज़मीन के मालिक की मृत्यु होने पर वारिसों को मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ-साथ कानूनी उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य कर दिया गया है। हालांकि यह नियम कागज़ों पर तर्कसंगत लगता है, पर ज़मीनी स्तर पर यह कई मुश्किलें खड़ी कर रहा है, खासकर उन मामलों में जहाँ मृत्यु कई वर्ष पहले हो चुकी है और उस समय कोई वैधानिक दस्तावेज़ नहीं बनवाया गया था। इस कारण परिवारों में भूमि अधिकार को लेकर विवाद भी उत्पन्न हो रहे हैं।

एक और बड़ी अड़चन है आधार संख्या को बैंक खाते से जोड़ने हेतु ई-केवाईसी सत्यापन की अनिवार्यता। दूर-दराज़ के क्षेत्रों से आने वाले या वृद्ध किसान अभी तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाए हैं, जिससे उनका पंजीकरण अधर में लटक गया है। यह तकनीकी बाधा असली किसानों को ही सिस्टम से बाहर कर रही है।

बंधक खेती करने वाले किसानों (शेयरक्रॉपर्स) के लिए तो स्थिति और भी कठिन है। नए नियमों के अनुसार, ज़मीन मालिक को स्वयं आवेदन करते समय संबंधित शेयरक्रॉपर के साथ जाकर हस्ताक्षर करना होगा। कई बार ज़मीन मालिक दूसरे ज़िले में रहते हैं या सहयोग करने में अनिच्छुक होते हैं, जिससे शेयरक्रॉपर्स पंजीकरण से वंचित हो रहे हैं।

इस वर्ष पहली बार सभी आवेदकों के लिए बायोमेट्रिक आइरिस स्कैन अनिवार्य किया गया है। हालांकि इसका उद्देश्य धोखाधड़ी रोकना है, लेकिन बुज़ुर्ग किसानों की आंखों की समस्याओं के कारण यह स्कैन विफल हो रहा है और वे भी प्रक्रिया से बाहर हो रहे हैं।

इसके अतिरिक्त, ऑनलाइन पोर्टल से ड्राफ्ट और एडिट विकल्प हटा दिया गया है, जिससे किसान अब आवेदन में कोई त्रुटि सुधार नहीं कर पा रहे। एक छोटी सी गलती पर पूरा आवेदन दोबारा भरना पड़ रहा है। सर्वर की धीमी गति और सीमित संसाधनों के कारण एक दिन में हर सोसाइटी में केवल 10 से 30 किसानों का पंजीकरण ही हो पा रहा है, जिससे किसान समुदाय में नाराज़गी लगातार बढ़ रही है।

ज्ञापन सौंपने वाली बीजू जनता दल की प्रतिनिधिमंडली में ज़िला परिषद अध्यक्ष नारायण प्रधान, सदर ब्लॉक अध्यक्ष सुनीता बेहरा, बालेश्वर-भद्रक कोऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष गणेश चंद्र महापात्र, बरदा प्रसन्ना पटनायक, गौरांग पाढ़ी, क्ष्यति महांति, विद्यास्मिता महालिक, अजय समल, देब देव, अंजन दांडपाट, तपन दास, सीमोन दास महापात्र, संग्राम मल्लिक, अनिरुद्ध प्रधान, शरत बेहरा, अजय महालिक, शांतनु दास, संजीव दास, इंतिखाब अली खान, मृत्युञ्जय बेहरा, शुभम साई महापात्र, रंजिता महापात्र, रोज़ी पटनायक, अश्रिता तरई, सोनाली साहा, जयंती दत्ता, हरप्रिया राणा सहित कई लोग शामिल थे।

प्रतिनिधिमंडली ने प्रशासन से आग्रह किया कि किसी भी किसान को इन प्रक्रियागत अड़चनों के कारण योजना से बाहर न किया जाए। उनका स्पष्ट संदेश था—प्रणाली को किसान-हितैषी और समावेशी बनाया जाए, वरना यह योजना उन्हीं को अलग-थलग कर देगी जिनके लिए इसे लागू किया गया है।