“भला कवितार खोज” द्वारा कवि कमलाकांत लेंका की जयंती मनाई गई
* “कमलाकांत लेंका एक निर्भीक साहित्यिक क्रांतिकारी थे,” अतिथियों ने कहा।
बालेश्वर, 19/11 (कृष्ण कुमार महान्ती): कवि कमलाकांत लेंका की जयंती के अवसर पर आज “भल कवितार खोज” का 80वां सत्र लाखोटिया कंप्यूटर सेंटर (एलसीसी) हॉल में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत कवि की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलित कर की गई। इसके बाद कवि राजेन्द्र किशोर पंडा, साहित्यिक विद्वान प्रह्ल्लाद चरण महान्ती और गायक ह्यूमन सागर की स्मृति में एक मिनट का मौन रखा गया।
“कवि कमलाकांत साहित्य समाज” की ओर से कवि-पुत्र सितांशु लेंका ने स्वागत भाषण दिया और अतिथियों का परिचय कराया। “भल कवितार खोज” की ओर से संयोजक कृष्ण कुमार महान्ती ने बैठक की अध्यक्षता की, जबकि सह- संयोजक कवि श्रीदेव ने 'चंद्रभागा' में प्रकाशित कमलाकांत लेंका के साक्षात्कार पर चर्चा की। “भल कवितार खोज” के सचिव कवि उत्पल महान्ती ने कार्यक्रम के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए अतिथियों का स्वागत किया।
वक्ताओं ने कमलाकांत लेंका को एक ऐसे साहित्यिक क्रांतिकारी के रूप में वर्णित किया जिनकी काव्य-ध्वनि साहसिक और विशिष्ट थी। उनकी कविता में नास्तिक अस्तित्ववाद की संवेदना स्पष्ट दिखती है। उनकी तकनीकी प्रयोगशीलता, विशेषकर “उत्तरायण” कविता में दिखाई देने वाली, आज भी अप्रतिम मानी जाती है। आत्मीयता, यथार्थ, मानवतावादी दृष्टिकोण और आशावाद के माध्यम से उनकी कविताओं ने एक नई शैली को जन्म दिया। 1960 के दशक में आरम्भ हुई “तीसरी काव्यधारा” के प्रमुख स्रोतों में कमलाकांत लेंका की काव्य-स्वर एक महत्वपूर्ण आधार रहा।
इस साहित्यिक समारोह में प्रसिद्ध कहानीकार रजनीकांत महान्ती, डॉ. हरीशचन्द्र बेहेरा, कवि विमल जेना, आलोचक डॉ. संतोष कुमार नायक, कवि प्रीतीलेखा दास, कवि रंजन बाग, कवि-अनुवादक सोमनाथ ओझा, कवि अभय दास, अक्षय कुमार जेना, सिप्रा जेना, डॉ. प्रभात कुमार जेना, रामचंद्र साहू, बसन्त कुमार नायक, हिमांशु दास सहित अनेक साहित्यकार उपस्थित रहे। उन्होंने कवि की कविताओं का पाठ कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम का समापन सितांशु लेंका द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।