ओडिशा आदर्श विद्यालय में तीन दिवसीय लाह की गुड़िया कार्यशाला सम्पन्न: 100 से अधिक विद्यार्थियों ने सीखी पारंपरिक कला

Dec 20, 2025 - 02:07
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ओडिशा आदर्श विद्यालय में तीन दिवसीय लाह की गुड़िया  कार्यशाला सम्पन्न: 100 से अधिक विद्यार्थियों ने सीखी पारंपरिक कला

बालासोर, 19/12 (कृष्ण कुमार महान्ति): जलेश्वर प्रखंड के अंतर्गत कालिका स्थित ओडिशा आदर्श विद्यालय में “आम संस्कृति आम खिलौना” कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित तीन दिवसीय लाह की गुड़िया कार्यशाला का कल सफलतापूर्वक समापन हुआ। यह कार्यशाला गत मंगलवार से आयोजित की गई थी, जिसमें विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता विद्यालय की प्रधानाचार्या रंजिता टुडु ने की। प्रसिद्ध शिल्पकार केसु दास, माया नायक और राकेश बेहरा, कला शिक्षक शक्तिपद मंडल के साथ उपस्थित रहे और विद्यार्थियों को पारंपरिक खिलौनों के सांस्कृतिक महत्व से अवगत कराया।

इस अवसर पर शिल्पकार केसु दास ने कहा कि भारतीय पारंपरिक खिलौने, विशेषकर लाह की गुड़िया, पर्यावरण के अनुकूल, किफायती और स्वदेशी ज्ञान पर आधारित हैं। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि लोग प्रायः चीन और अमेरिका के महंगे खिलौनों को प्राथमिकता देते हैं, जिससे विदेशी अर्थव्यवस्थाएं मजबूत होती हैं, जबकि भारतीय शिल्पकार आजीविका के संकट से जूझ रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप नई पीढ़ी का पारंपरिक शिल्पों से मोहभंग हो रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि गुड़िया सभी को प्रिय होती हैं, लेकिन लाह की गुड़िया निर्माण स्वयं में एक सृजनात्मक और परिष्कृत कला है। यदि इस कला में दक्षता प्राप्त की जाए तो ऐसे हस्तनिर्मित खिलौनों को देश-विदेश के बाजारों तक पहुंचाया जा सकता है, जिससे भारत की संस्कृति, विरासत, परंपरा और शिल्प कौशल को वैश्विक पहचान मिल सकती है।

सामान्यतः लाह का उपयोग चूड़ियों, आभूषणों और लकड़ी के शिल्प में किया जाता है। किंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि सूखी मिट्टी से बनी गुड़ियों पर लाह की परत चढ़ाकर आकर्षक और टिकाऊ लाह की गुड़िया भी तैयार की जाती हैं। इस कार्यशाला में विद्यालय के 100 से अधिक विद्यार्थियों ने इस दुर्लभ कला को गहरी रुचि के साथ सीखा। दूसरे दिन विद्यार्थियों ने मिट्टी की गुड़ियां बनाईं, उन पर लाह की परत चढ़ाई और विभिन्न प्रकार के सुंदर खिलौनों का निर्माण किया। तीसरे दिन विद्यालय में लाह की गुड़िया प्रदर्शनी आयोजित की गई, जिसमें विद्यार्थियों ने अपनी रचनाएं प्रदर्शित कीं और निर्माण प्रक्रिया पर एक पृष्ठ का विवरण शिल्पकारों को सौंपा।

समापन सत्र में प्रतिभागी विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए। यह कार्यशाला कला शिक्षक शक्तिपद मंडल के मार्गदर्शन में तीन दिनों तक चली, जिसे सफल बनाने में विद्यालय के अन्य शिक्षक-शिक्षिकाओं और कर्मचारियों का सक्रिय सहयोग रहा।