2024 के लिए कवि प्रीतिधारा सामल और 2025 के लिए कथाकार नृपाराज साहू ‘महुरी सम्मान’ के लिए चयनित

Dec 27, 2025 - 23:41
 12
2024 के लिए कवि प्रीतिधारा सामल और 2025 के लिए कथाकार नृपाराज साहू ‘महुरी सम्मान’ के लिए चयनित

बालासोर, 27/12 (कृष्ण कुमार महांति): प्रतिष्ठित ओड़िया साहित्यिक पत्रिका महुरी ने लगातार दो वर्षों के लिए अपने सम्मानजनक ‘महुरी सम्मान’ की घोषणा की है। वर्ष 2024 के लिए यह सम्मान कवि डॉ. प्रीतिधारा सामल को और वर्ष 2025 के लिए प्रसिद्ध कथाकार डॉ. नृपाराज साहू को प्रदान किया जाएगा।
प्रत्येक वर्ष महुरी पत्रिका से नियमित रूप से जुड़े किसी एक लेखक को इस सम्मान के लिए चुना जाता है। चयन समिति की सिफारिश के आधार पर डॉ. प्रीतिधारा सामल और डॉ. नृपाराज साहू के नामों को अंतिम रूप दिया गया है। इसकी जानकारी देते हुए पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ. भवानीशंकर नियाल ने बताया कि दोनों साहित्यकारों को जनवरी 2026 में आयोजित होने वाले महुरी महोत्सव में औपचारिक रूप से सम्मानित किया जाएगा।
वर्ष 2008 से नियमित रूप से प्रकाशित हो रही अर्धवार्षिक साहित्यिक पत्रिका महुरी द्वारा पूर्व वर्षों में लेखक विष्णुपद सेठी, कथाकार एवं उपन्यासकार सत्यप्रिय महालिक, कवि सुचेता मिश्र, प्रख्यात आलोचक प्रोफेसर आदिकंद साहू, निबंधकार चंद्रशेखर होता, कवि डॉ. सुरेश नायक, कवि लक्ष्मीनारायण होता, कवि गायत्रीबाला पांडा तथा कवि रंजन कुमार दास को ‘महुरी सम्मान’ से सम्मानित किया जा चुका है।
1973 में जन्मी कवि प्रीतिधारा सामल छात्र जीवन से ही साहित्य साधना में संलग्न हैं। कविता, निबंध, अनुवाद और समसामयिक विषयों पर आधारित फीचर लेखन में उनकी समान पकड़ है। वर्तमान में वे सरकारी डी.ए.वी. कॉलेज, कोरापुट के स्नातकोत्तर ओड़िया भाषा एवं साहित्य विभाग में सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत हैं। अब तक उनकी पाँच कविता संग्रह, एक अनूदित बाल कथा संग्रह तथा ‘रमाकांत रथ की कविता में भाषा और शिल्प’ शीर्षक से एक आलोचनात्मक गद्य पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है। आधुनिक ओड़िया कविता की मुख्यधारा में एक सशक्त कवि के रूप में डॉ. सामल की विशेष पहचान है। बिंब प्रयोग में उनकी असाधारण दक्षता उन्हें अलग स्थान दिलाती है। प्रेम, प्रतिरोध और विद्रोह उनके काव्य में तीव्रता से अभिव्यक्त होता है। नारी मन की सूक्ष्म अनुभूतियों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने के लिए उन्हें 2024 के महुरी सम्मान के लिए चुना गया है।
इसी तरह 1966 में जन्मे कथाकार नृपाराज साहू एक गंभीर और समर्पित साहित्य साधक के रूप में रसिक पाठकों के बीच परिचित हैं। कहानी, कविता, निबंध और अनुवाद साहित्य में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। वर्तमान में वे सुबर्णपुर के जिला कलेक्टर के रूप में कार्यरत हैं। अब तक उनकी दो कहानी संग्रह, एक कविता संग्रह और एक अनूदित कृति प्रकाशित हो चुकी है। समकालीन ओड़िया कथा साहित्य में डॉ. साहू की विशिष्ट पहचान है। उनकी कहानियों में मनुष्य करुणा और संवेदनशीलता के साथ उपस्थित होता है, वहीं प्रकृति का चित्रण भी अत्यंत जीवंत और आकर्षक रूप में सामने आता है। सशक्त चरित्र चित्रण और असहायों के प्रति न्यायबोध के लिए उन्हें 2025 के महुरी सम्मान के लिए चयनित किया गया है, सूत्रों ने बताया।