प्रख्यात साहित्यकार डॉ. बंशीधर चौधुरी के निधन पर फकीर मोहन साहित्य परिषद ने शोकसभा आयोजित की

Dec 27, 2025 - 00:35
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प्रख्यात साहित्यकार डॉ. बंशीधर चौधुरी के निधन पर फकीर मोहन साहित्य परिषद ने शोकसभा आयोजित की

बालेश्वर, 26 दिसंबर (कृष्ण कुमार महान्ति):
फकीर मोहन साहित्य परिषद द्वारा प्रख्यात साहित्यकार डॉ. बंशीधर चौधुरी के निधन पर एक शोकसभा का आयोजन किया गया। डॉ. चौधुरी का निधन 9 दिसंबर को प्रातः लगभग 4.20 बजे हुआ था।
डॉ. बंशीधर चौधुरी फकीर मोहन साहित्य परिषद के पूर्व संयुक्त सचिव एवं सचिव रहे थे। वे एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। एक समर्पित शिक्षक, कवि, निबंधकार, शोधकर्ता, सशक्त संगठनकर्ता होने के साथ-साथ वे शालीन, सौम्य और सिद्धांतनिष्ठ व्यक्ति थे। उनके निधन से क्षेत्र के साहित्यिक और बौद्धिक जगत में एक अपूरणीय क्षति हुई है।
शोकसभा का संयुक्त संचालन परिषद के अध्यक्ष डॉ. सुभाष चंद्र पात्र और सचिव डॉ. रत्नाकर सिंह ने किया। डॉ. चौधुरी से स्नेह रखने वाले मित्र, परिजन, बुद्धिजीवी और साहित्यकार उपस्थित रहे और अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
वरिष्ठता के आधार पर सबसे पहले पद्मलोचन दत्त ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि समाज ने एक सच्चे और अच्छे इंसान को खो दिया है। अनसूया नायक ने कहा कि फकीर मोहन की धरती ने एक मूल्यवान साहित्यकार को खो दिया। अपने शोक संदेश में डॉ. क्षितीश्वर दास ने उन्हें दृढ़ संकल्पी, गुणग्राही व्यक्ति बताते हुए कहा कि उन्होंने एक सफल शिक्षक और संस्थान प्रमुख के रूप में अपनी जिम्मेदारियों का कुशल निर्वहन किया। उपाध्यक्ष दीनबंधु लेन्का ने दिवंगत चौधुरी को विनम्र, नम्र और स्पष्टवादी व्यक्तित्व के रूप में स्मरण किया।
वरिष्ठ सदस्य अश्विनी सतपथी ने कहा कि जो व्यक्ति अपनी मिट्टी से जुड़ा होता है, वह मृत्यु के बाद भी अमर रहता है। परिषद के पूर्व अध्यक्ष डॉ. हरिश्चंद्र बेहरा ने स्मरण किया कि उनके कार्यकाल में डॉ. चौधुरी सचिव थे और इससे पहले वे संयुक्त सचिव भी रहे थे। उन्होंने उनके असमय निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया। डॉ. शिरीष चंद्र जेना ने कहा कि वे डॉ. चौधुरी के मधुर और स्नेहिल व्यक्तित्व से अत्यंत प्रभावित थे।
दिवंगत चौधुरी के घनिष्ठ मित्र एवं कथाकार उदय नारायण दास, जो उनके सहपाठी भी थे, ने बताया कि उन्हें लेखन की प्रेरणा डॉ. चौधुरी से मिली। उन्होंने अपनी पुस्तक शताब्दी पुरुष के एक अध्याय का पाठ करते हुए भावुक हो गए, जिसमें डॉ. चौधुरी की तुलना रवींद्र मोहन दास से की गई है। एक अन्य निकट मित्र डॉ. राधारंजन पटनायक ने भावुक होकर कहा, “मैं कभी किसी की शोकसभा में नहीं रोया, लेकिन आज मेरी आंखों के आंसू मेरी बात नहीं मान रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे मेरे आंसू बार-बार उनकी कविताओं को धो रहे हों। मेरे आसपास रहने वाला वह इंसान हमेशा के लिए चला गया, यह विश्वास करना कठिन है।”
इस शोकसभा में उपाध्यक्ष अंजलि पांडा, सचिंद्र कर, श्याम बाबू, कालिकिंगर दास, स्मृतिलेखा दे, दीप्तिरेखा दास, संयुक्त सचिव कल्याणी नंद, संयुक्त सचिव राजेश गिरि, पूर्व संयुक्त सचिव चंद्रांशु बनर्जी, अधिवक्ता दीपक दास, करुणाकर सो, विद्याधर दास सहित अनेक बुद्धिजीवी, साहित्यकार और डॉ. चौधुरी के प्रशंसक उपस्थित थे। सभी ने पुष्पांजलि अर्पित की और कामना की कि जहां कहीं भी वे हों, शांति और सुख से रहें।