फकीर मोहन विश्वविद्यालय में त्रिदिवसीय प्राच्य विद्या सम्मेलन का शुभारंभ: ४० से अधिक शोधकर्ता प्रस्तुत करेंगे शोध-पत्र

May 27, 2025 - 23:03
 23
फकीर मोहन विश्वविद्यालय में त्रिदिवसीय प्राच्य विद्या सम्मेलन का शुभारंभ: ४० से अधिक शोधकर्ता प्रस्तुत करेंगे शोध-पत्र

बालेश्वर, २७/०५ (कृष्ण कुमार महांति): फकीर मोहन विश्वविद्यालय में पूर्वी भारतीय प्राच्य विद्या सम्मेलन के पाँचवें संस्करण का शुभारंभ हुआ। यह त्रिदिवसीय सम्मेलन विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (नई दिल्ली) तथा पूर्वी भारतीय प्राच्य विद्या सम्मेलन के संयुक्त सहयोग से आयोजित किया गया है।

२६ मई को आयोजित उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संतोष कुमार त्रिपाठी ने की। सम्मेलन के अध्यक्ष प्रोफेसर प्रफुल्ल कुमार मिश्र ने अपने संबोधन में कहा कि प्रत्येक शिक्षण संस्थान में संस्कृत विषय को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। मुख्य वक्ता प्रोफेसर हरेकृष्ण शतपथी ने ओड़िशा की सांस्कृतिक परंपराओं के वैश्विक दृष्टिकोण और इस पावन भूमि के स्वतंत्र बौद्धिक अस्तित्व पर विचार प्रस्तुत किए।

कुलपति प्रो. त्रिपाठी ने संस्कृत के व्यापक विस्तार की आकांक्षा व्यक्त करते हुए विश्वविद्यालय की भूमिका पर प्रकाश डाला।

सम्मेलन में स्नातकोत्तर परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर भास्कर बेहेरा ने स्वागत भाषण दिया, जबकि प्रोफेसर अरुण रंजन मिश्रा ने अतिथियों का परिचय कराया। संस्कृत विभाग के संयोजक प्रो. देवाशीष पात्र ने कार्यक्रम का संचालन किया और सम्मेलन के संपादक प्रो. हरेकृष्ण मिश्रा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

सम्मेलन के विषयगत सत्रों में अतिथि वक्ताओं के रूप में प्रोफेसर ब्रजकिशोर स्वाईं, प्रो. प्रफुल्ल कुमार मिश्र, प्रो. हरेकृष्ण शतपथी, प्रो. अरुण रंजन मिश्र, प्रो. क्षितिश्वर दास, प्रो. करूणाकर दास और डॉ. कुमारचंद्र मिश्र ने भाग लिया। उन्होंने श्रीधरस्वामी और बलदेव विद्याभूषण की साहित्यिक कृतियों पर चर्चा की।

आगामी सत्रों में अथर्ववेद की पैप्पलाद संहिता, व्यासकवि फकीर मोहन सेनापति तथा भारतीय ज्ञान परंपरा पर चर्चा की जाएगी।

इस सम्मेलन में ४० से अधिक शोधकर्ता अपने शोध-पत्र प्रस्तुत करेंगे। देश के विभिन्न प्रांतों से आए विद्वानों और साहित्य विशेषज्ञों की सहभागिता सुनिश्चित की गई है। विभाग के शिक्षक डॉ. देवाशीष मिश्रा और डॉ. प्रीति रंजन माझी विभिन्न सत्रों का संचालन करेंगे, जबकि सौ से अधिक शोधार्थी सक्रिय रूप से इस शैक्षणिक आयोजन में भाग ले रहे हैं।