‘कांतकवि विमर्श’ गवेषणा परिषद और ओड़िया भाषा विकास आंदोलन (OBBA) के संयुक्त तत्वावधान में हुआ आयोजन

बालेश्वर, 11 अक्टूबर (कृष्ण कुमार महांती):
बालेश्वर के स्रष्टा नाट्यालय सभागार में गवेषणा परिषद और ओड़िया भाषा विकास आंदोलन (OBBA) के संयुक्त प्रयास से ‘कांतकवि विमर्श’ शीर्षक एक साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता गवेषणा परिषद के उपाध्यक्ष डॉ. असित महांती ने की।
अपने संबोधन में डॉ. महांती ने कहा कि कांतकवि लक्ष्मीकांत महापात्र केवल एक प्रतिष्ठित साहित्यकार ही नहीं थे, बल्कि वे स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, संगीतज्ञ, अभिनेता और संपादक भी थे, जिन्होंने ओड़िशा के सांस्कृतिक इतिहास में अमिट छाप छोड़ी। OBBA के अध्यक्ष डॉ. चौधरी सत्यब्रत नंदा ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कांतकवि के राष्ट्रवादी दृष्टिकोण और उनकी कविताओं से स्वतंत्रता सेनानियों पर पड़े प्रभाव को उजागर किया।
गवेषणा परिषद के सचिव डॉ. गौरांग चरण दाश ने परिषद की विभिन्न गतिविधियों पर प्रकाश डाला और कहा कि कांतकवि के साहित्यिक एवं वैचारिक योगदान को पुनः समझने की आवश्यकता है। OBBA के संगठन सचिव तपन राय ने प्रारंभिक वक्तव्य प्रस्तुत किया।
पहले सत्र में डॉ. शिरीष चंद्र जेना और डॉ. लक्ष्मीकांत त्रिपाठी ने क्रमशः “असहयोगर गुमार कथा: असहयोगीर आत्मकथा” और “कणामामुर आद्यप्रांत” विषयों पर अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किए। दोनों वक्ताओं ने ग्रंथों का विवरण दिया और श्रोताओं के प्रश्नों का उत्तर भी दिया। कार्यक्रम की शुरुआत गवेषणा परिषद पर आधारित एक आवाहनी गीत से हुई, जिसका निर्देशन डॉ. कल्याणी नंदा ने किया और इसे शांतीलता पांडा, शांति बिशी, अर्चना कर, बसंती डे, कविता जेना, अमिता चांद, पुष्पलता चक्रवर्ती और प्रियाराणी मलिक ने प्रस्तुत किया। संयुक्त सचिव जुमरनाथ पात्र ने अतिथियों को मंच पर आमंत्रित किया।
दूसरे सत्र की अध्यक्षता उपाध्यक्ष निबारन जेना ने की। इसमें डॉ. गोविंद भुइंया, डॉ. गौरहरी महांती, डॉ. सुरेंद्र मिश्र और लेखिका सुनंदा प्रधान ने अपने विचार रखे। विशेष अतिथियों में डॉ. भागवत प्रसाद दास, अरुणा राय और निरंजन राउत ने कांतकवि के जीवन और रचनाओं पर अपने अनुभव साझा किए। कांतकवि की रचना “सबुथिरु बंचिता करी” का सुमधुर गायन किया गया। कवि प्रभाकर साहू सहित कई कवियों ने कांतकवि को समर्पित अपनी रचनाओं का पाठ किया। कवि दीपक बोस ने समापन भाषण देते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया।
उपस्थित व्यक्तियों में निरंजन साहू, प्रदीप चटर्जी, शरत कुमार महापात्र, प्रो. कृष्णचंद्र प्रधान, डॉ. शाक्यसिंह दास, नाटककार हेमेन्द्र महापात्र, डॉ. क्षितिश्वर दास, दीनबन्धु लेंका, प्रफुल्ल कुमार दास, उर्मिला नायक, दीपक दास, लम्बोदर नायक, विद्याधर साहू, केशु दास, डॉ. हेममाला दास, डॉ. लक्ष्मण चरण साहू, गोपाल जेना, रजनीकांत बेहरा, बेणुधर साहू, ममता दास और निरुपमा सेठी सहित बालेश्वर के अनेक लेखक और बुद्धिजीवी उपस्थित थे।