46वां सरला पुरस्कार देवदास छोटराय को प्रदान ‘ईला-बंसिधर पांडा कला सम्मान’ गुरु रामहारी दास और बालदेव महारथ को

Oct 29, 2025 - 22:18
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46वां सरला पुरस्कार देवदास छोटराय को प्रदान  ‘ईला-बंसिधर पांडा कला सम्मान’ गुरु रामहारी दास और बालदेव महारथ को

बालेश्वर, 28 अक्टूबर (कृष्ण कुमार मोहंती): प्रसिद्ध कवि और कहानीकार देवदास छोटराय को 46वां सरला पुरस्कार प्रदान किया गया। यह पुरस्कार इंडियन मेटल्स पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट (IMPaCT) द्वारा प्रतिवर्ष उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिए दिया जाता है।

यह सम्मान, जिसमें तांबे की पट्टिका और सात लाख रुपये की नकद राशि शामिल है, प्रसिद्ध हिंदी कवयित्री एवं लेखिका प्रो. सविता सिंह ने श्री छोटराय को उनके कहानी-संग्रह ‘मैटिनी शो’ (प्रकाशक: टाइमपास पब्लिकेशन) के लिए प्रदान किया।

इसके अलावा, विख्यात ओडिसी संगीतकार एवं गायक गुरु रामहारी दास तथा प्रसिद्ध चित्रकार बालदेव महारथ को ‘ईला-बंसिधर पांडा कला सम्मान’ से सम्मानित किया गया। दोनों कलाकारों को प्रशस्ति पत्र और ढाई लाख रुपये की नकद राशि प्रदान की गई।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ट्रस्टी श्रीमती परमिता पांडा ने कहा कि “सरला पुरस्कार विजेता देवदास छोटराय ने सदैव अपनी विशिष्ट रचनाशैली से पाठकों और श्रोताओं का सम्मान अर्जित किया है। उनके इस पुरस्कार प्राप्त कहानी-संग्रह में जीवन के सामान्य सिद्धांतों को उन्होंने असाधारण ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। यह रचनाएँ मनोरंजक होने के साथ शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक भी हैं।” उन्होंने कहा, “डॉ. बंसिधर पांडा और श्रीमती ईला पांडा द्वारा चार दशक पहले प्रारंभ किया गया यह पुरस्कार ओड़िया अस्मिता का प्रतीक बन चुका है, जिसने ओडिशा की कला और साहित्य को नई ऊँचाइयाँ दी हैं।”

मुख्य अतिथि प्रो. सविता सिंह ने अपने संबोधन में कहा, “साहित्य मनुष्य द्वारा अपने सुख और आनंद के लिए रचा जाता है। यह आनंद सौंदर्य और सामाजिक न्याय की खोज करता है। प्रेम इस सृजनात्मक कार्य के केंद्र में है। मुझे अत्यंत प्रसन्नता है कि मेरे प्रिय कवि देवदास छोटराय को यह सम्मान प्राप्त हुआ है। उनकी रचनाएँ न केवल ओड़िया साहित्य, बल्कि विश्व साहित्य को भी समृद्ध करती हैं।”

अपने स्वीकृति भाषण में श्री देवदास छोटराय ने कहा, “मैं किसी अनजान पाठक के लिए नहीं लिखता, जिसमें मुझे विश्वास नहीं है। मैं अपने लिए और कुछ मित्रों के लिए लिखता हूँ, और समय की पीड़ा को कम करने के लिए फिर लिखता हूँ। मैं सरला पुरस्कार के आयोजकों का हृदय से आभारी हूँ कि उन्होंने ‘मैटिनी शो’ को कहानी-संग्रह के रूप में मान्यता दी।”

कार्यक्रम में राज्यभर से अनेक साहित्यकार, कवि और साहित्यप्रेमी उपस्थित थे। समारोह ओड़िशा की साहित्यिक और कलात्मक उपलब्धियों का यादगार उत्सव बन गया।

डॉ. बंसिधर पांडा और श्रीमती ईला पांडा द्वारा 1974 में स्थापित इंडियन मेटल्स पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट (IMPaCT) ने ओड़िया भाषा और साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस ट्रस्ट द्वारा सरला पुरस्कार (1980 से), ईला-बंसिधर पांडा कला सम्मान, और एकलव्य पुरस्कार जैसी प्रतिष्ठित पहलें आयोजित की जाती हैं।