एफएमयू परिसर में मनाया गया मन्मथ नाथ दास का जन्मशताब्दी समारोह फकीर मोहन विश्वविद्यालय और साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में

बालेश्वर, 15 मई (कृष्ण कुमार महान्ती) — फकीर मोहन विश्वविद्यालय ने साहित्य अकादमी के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त इतिहासकार, साहित्यकार और शिक्षाविद मन्मथ नाथ दास की जन्मशताब्दी के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय परिसर में एक गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन किया।
इस समारोह का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संतोष कुमार त्रिपाठी ने किया। इस विशेष अवसर पर मन्मथ नाथ दास की बहू रंजीता दास ‘गेस्ट ऑफ ऑनर’ के रूप में उपस्थित रहीं। अपने भावुक संबोधन में उन्होंने विश्वविद्यालय और अकादमी का आभार व्यक्त करते हुए इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम को अत्यंत सार्थक बताया।
साहित्य अकादमी की ओड़िया सलाहकार समिति के संयोजक डॉ. गोरहरि दास ने अध्यक्षता करते हुए मन्मथ नाथ दास के साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने दास के जीवन के ऐतिहासिक और दार्शनिक पक्षों को रेखांकित करते हुए एक विद्वत्तापूर्ण वक्तव्य प्रस्तुत किया।
मुख्य वक्ता के रूप में प्रतिष्ठित इतिहासकार खारवेल महान्ती ने मन्मथ नाथ दास के जीवन और कार्यों पर अनेक दुर्लभ और बहुमूल्य विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने दास को एक श्रेष्ठ शिक्षक, मानवतावादी, इतिहासकार और साहित्यकार के रूप में चित्रित करते हुए कहा कि श्रेष्ठ इतिहास का निर्माण महान साहित्य के बिना संभव नहीं है। उन्होंने दास के वैश्विक इतिहास-लेखन में योगदान को गहराई से समझाया।
कुलपति प्रो. त्रिपाठी ने अपने भाषण में मन्मथ नाथ दास को एक “ब्रह्मांडीय व्यक्तित्व” बताया—जो न केवल राज्य बल्कि राष्ट्र और विश्व के लिए भी प्रेरणा थे। उन्होंने उन्हें अकादमिक आकाश में एक उगते हुए सूर्य की संज्ञा दी और उन्हें दृढ़, निडर और आदर्शवादी व्यक्तित्व के रूप में श्रद्धांजलि दी।
इस समारोह में दो विषयगत सत्रों का आयोजन हुआ। इन सत्रों में देशभर से आए विद्वानों—दश बेनहुर, अभिराम बिस्वाल, रुद्राणी मोहंती, सहदेव साहू, अशोक पटनायक, कृष्णचंद्र प्रधान, लक्ष्मीकांत त्रिपाठी और प्रह्लाद सिंह—ने मन्मथ नाथ दास के जीवन, लेखन और बहुआयामी विरासत पर अपने विचार साझा किए।
उद्घाटन सत्र में साहित्य अकादमी (कोलकाता) के वरिष्ठ अधिकारी क्षेत्रबसी नायक ने स्वागत भाषण दिया। भाषा और साहित्य विभाग के अध्यक्ष प्रो. देवाशीष पात्र ने सत्र का संचालन किया और धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
समारोह के दौरान एफएमयू परिसर में साहित्य अकादमी की पुस्तकों की एक प्रदर्शनी और बिक्री का भी आयोजन किया गया। दो शैक्षिक सत्रों के समापन पर सहायक प्रोफेसर डॉ. जयंता कुमार दास और डॉ. प्रह्लाद खिला ने संयुक्त रूप से धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
यह जन्मशताब्दी समारोह साहित्यिक, ऐतिहासिक और बौद्धिक दृष्टिकोणों से परिपूर्ण था और मन्मथ नाथ दास जैसे भारत और ओड़िशा के प्रख्यात बुद्धिजीवी को एक उपयुक्त श्रद्धांजलि सिद्ध हुआ।