जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता हेतु फकीर मोहन विश्वविद्यालय में इंटरनेशनल हॉर्सशू क्रैब डे मनाया गया

Jun 21, 2025 - 15:36
Jun 21, 2025 - 15:58
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जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता हेतु फकीर मोहन विश्वविद्यालय में इंटरनेशनल हॉर्सशू क्रैब डे मनाया गया

बालेश्वर, 20/6 (कृष्ण कुमार महांती) – फकीर मोहन विश्वविद्यालय में इंटरनेशनल हॉर्सशू क्रैब डे के अवसर पर एक विशेष वैज्ञानिक एवं जनजागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य था— जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करना। यह कार्यक्रम जीवविज्ञान, बायोसाइंस और बायोटेक्नोलॉजी विभागों के संयुक्त प्रयास तथा हॉर्सशू क्रैब अनुसंधान एवं संरक्षण केंद्र (CRCIHSC) और ओडिशा वन विभाग के सहयोग से आयोजित किया गया।

इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य था— दुनिया के सबसे प्राचीन जीवों में से एक, हॉर्सशू क्रैब, के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना; इनके लिए अनुकूल पारिस्थितिक तंत्र और संबंधित जैविक विज्ञान के महत्व को उजागर करना; और इनके संरक्षण हेतु सामूहिक कदम उठाना।

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कार्यक्रम का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संतोष कुमार त्रिपाठी ने किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि हॉर्सशू क्रैब का संरक्षण केवल एक शैक्षणिक दायित्व नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी भी है। उन्होंने उल्लेख किया कि ओडिशा राज्य में हॉर्सशू क्रैब के संरक्षण में फकीर मोहन विश्वविद्यालय की एक विशेष भूमिका है और यह इस विषय में अनुसंधान को प्रोत्साहित करने वाला एकमात्र विश्वविद्यालय है। उन्होंने इस दिशा में एक समर्पित अनुसंधान केंद्र की स्थापना पर बल दिया।

कार्यक्रम में उपस्थित विशिष्ट अतिथियों ने हॉर्सशू क्रैब की उत्पत्ति, संरक्षण, और अनुसंधान से जुड़ी उम्मीदों और रणनीतियों पर अपने विचार साझा किए।

उल्लेखनीय अतिथियों में शामिल थे — श्री अरविंद मिश्रा (उपमुख्य वन संरक्षक – वन्यजीव विभाग), श्री एच.के. रथ (निदेशक, ITR), श्री यादव सुधर्शन गोपीनाथ (IFS, प्रभागीय वन अधिकारी, राजनगर), सुश्री दातिनी सेठी (सहायक वन अधिकारी, बालेश्वर), डॉ. सुब्रत कुमार दास (वैज्ञानिक, डीप ओशन मिशन, ILS), तथा श्री सुब्रत नायक (उपाध्यक्ष, NOSI)। इन्होंने हॉर्सशू क्रैब की शरीर संरचना, चिकित्सा विज्ञान में इसके अनुपम महत्व, और तटीय क्षेत्रों में इसके सुरक्षित जीवन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

इस अवसर पर छात्रों के लिए एक दृश्य-श्रव्य डॉक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की गई, जिसमें हॉर्सशू क्रैब के आवास, संरक्षण के उपाय, तथा विभिन्न अनुसंधान पहलुओं को दर्शाया गया।

CRCIHSC के निदेशक प्रो. विष्णु प्रसाद दास ने पर्यावरण शिक्षा और जमीनी स्तर पर संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। प्रो. भास्कर बेहरा, पीजी काउंसिल के अध्यक्ष ने विश्वविद्यालय द्वारा इस क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए आयोजकों को बधाई दी।

कार्यक्रम के संयोजक एवं CRCIHSC के उपनिदेशक डॉ. भारत भूषण पट्टनायक ने स्वागत भाषण दिया। डॉ. अनिल चटर्जी (वैज्ञानिक, NIO गोवा) और डॉ. वासुदेव त्रिपाठी (वैज्ञानिक, ZSI पुणे) ने ऑनलाइन माध्यम से जुड़कर हॉर्सशू क्रैब के प्रभावी संरक्षण हेतु अपने विचार साझा किए।

कार्यक्रम का समापन डॉ. नीलाद्रि भूषण कर (सहयोगी प्राध्यापक, जीवविज्ञान विभाग) द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।